The smart Trick of Shodashi That Nobody is Discussing

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दिव्यौघैर्मनुजौघ-सिद्ध-निवहैः सारूप्य-मुक्तिं गतैः ।

अष्टैश्वर्यप्रदामम्बामष्टदिक्पालसेविताम् ।

Matabari Temple is often a sacred location the place people from diverse religions and cultures Assemble and worship.

कन्दर्पे शान्तदर्पे त्रिनयननयनज्योतिषा देववृन्दैः

देवीं मन्त्रमयीं नौमि मातृकापीठरूपिणीम् ॥१॥

चतुराज्ञाकोशभूतां नौमि श्रीत्रिपुरामहम् ॥१२॥

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

सा नित्यं नादरूपा त्रिभुवनजननी मोदमाविष्करोतु ॥२॥

Devotees of Shodashi interact in a variety of spiritual disciplines that purpose to harmonize the brain and senses, aligning them Along with the divine consciousness. The following factors outline the development toward Moksha as a result of devotion to Shodashi:

श्वेतपद्मासनारूढां शुद्धस्फटिकसन्निभाम् ।

लक्ष्या या पुण्यजालैर्गुरुवरचरणाम्भोजसेवाविशेषाद्-

Cultural functions like check here people dances, tunes performances, and plays will also be integral, serving for a medium to impart traditional tales and values, Primarily into the young generations.

वन्दे वाग्देवतां ध्यात्वा देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥१॥

स्थेमानं प्रापयन्ती निजगुणविभवैः सर्वथा व्याप्य विश्वम् ।

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